सुविधा

जिसकी संगत प्राप्त कर, हर्षित हो मन प्राण

शुभ अवसर उर में लगे, कामदेव का वाण।

कार्य रुके कोई नहीं, जीवन हो आसान

उत्तम संगत हेतु हो, आचरण का विज्ञान।

आमंगल नवस्रोत शुभ, श्रेष्ठ जीवनाधार

पुण्य प्रगति पुष्पांजलि, प्रीति प्रेरणासार।

सध जाये सब साधना, भले कटी हो डोर

निर्भय हीरा ले फिरे, भले हों लाखो चोर।

मिले हुए की प्रीत में, डूब करें सुख भोग

नैसर्गिक सुषमा सकल, सिर्फ एक संयोग।

भाग्य कहें या कर्मफल, दैविक पुण्याशीष

नाव फिरे मझधार में, पार करें जगदीश।।

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