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हिन्दी साहित्य के जीर्णोद्धारक, नवीन प्रवृत्तियों पर आधारित साहित्य के सृजनकर्ता डॉ0 मनीराम वर्मा का साहित्य सृजन सामाजिक वर्जनाओं के खिलाफ संघर्ष का आह्वान करने वाला रहा है। इन्होंने अपने समय के सच को समाज की गतिविधियों में अनूभूत कर उसकी कशक को बड़ी ही गहनता से अनुभूत किया है। उसकी अभिव्यक्ति के लिए इनके अन्तस्तल में सदैव एक प्रतिक्रिया जगती रही, जो अवसर पाकर उनके साहित्य के रूप में अभिव्यक्त हुई है। इन रचनाओं में जीवन की अद्भुत अवस्थाओं का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जो एक ओर वाह्य जगत की स्थूलता का बोध्ा कराता है, तो दूसरी ओर अध्यात्मिक पक्ष की सूक्ष्म अभिवृत्तियों की पारदर्शिता में बयानबाजी करने से बाज नहीं आता। इन जीवन जगत की यथार्थ घटनाओं से जुड़ी अवस्थाओं का सांगोपांग विश्लेषण करने वाले साहित्यकार डॉ0 मनीराम वर्मा का जीवनप्रक्रम निम्नवत् रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
डॉ0 मनीराम वर्मा का जन्म ग्राम-पालीपट्टी (गुवाँव), पोस्ट-चाँदपुर, जिला-अम्बेडकरनगर (उ0प्र0) में 7 जून सन् 1975 ई0 को एक मध्यम वर्गीय कुर्मी परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती ब्रह्मा देवी व पिता का नाम श्री राम बहाल वर्मा है। एक बहन और पाँच भाईयों में सबसे छोटा होने के कारण डॉ0 मनीराम वर्मा का बाल्यकाल अत्यंत लाड-प्यार में व्यतीत हुआ। यद्यपि आर्थिक आय का स्रोत सिर्फ खेती ही होने के कारण कभी-कभी कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ा। इन्हीं पारिवारिक कठिनाईयों के चलते पिता श्री राम बहाल ने घर से 10 किमी0 दूर सरयू (घाघरा) नदी के किनारे फैजाबाद टाण्डा रोड पर बसे इल्तिफातगंज बाजार में मोटर मैकेनिक की दूकान भी कर ली। इस प्रकार आय का स्रोत तो बढ़ा, परन्तु आपसी पारिवारिक असहयोगात्मक विसंगतियों के उत्पन्न होने के कारण सामान्य परिवेश में असामान्य कठिनाईयाँ उत्पन्न होने लगी। इन्ही स्वेच्छाचारी आक्रोशात्मक विडमबनाओं की झंझावातों में उलझी बेला में ही डॉ0 मनीराम वर्मा का कैशोर्य व्यतीत हुआ। इन्होंने कठिनाईयों के सामने कभी घुटने नहीं टेके, बल्कि कटीली राहों में बिछे अंगारों पर नंगे पाँव चलना ही अपनी नियति बना लिया है। 10 मार्च 1999 को पटना मुबारकपुर, बसखारी, अम्बेडकरनगर निवासी श्री अच्छेलाल वर्मा की दूसरी बेटी मंगेशलता वर्मा के साथ इनका विवाह हुआ। विवाहोपरान्त 21 मार्च 2002 को पुत्री और 30 जून 2003 को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। जीवन के इसी क्रम में 21 फरवरी 2002 को इनकी माता का स्वर्गवास हो गया। पारिवारिक यातनाओं में जूझते हुए भी पत्नी डॉ0 मंगेशलता वर्मा, पुत्री मीमांसा वर्मा एवं पुत्र मुमुक्षु वर्मा के संग इनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय व्यतीत हो रहा है।


समाज विकास की परम्परा का प्रतिबिम्ब साहित्यकार की कूची से बिम्बित होती रही है। उसने अपने आस-पास के वातावरण को भलि-भांति महसूस करते हुए अपने साहित्य में व्यख्यायित करने का कार्य किया है। साहित्यकार के आप-पास का वातावरण उसके सृजन की प्रमुख शंृखला का बोध कराती है। वह जैसा अनुभूत करता है ठीक वैसा ही अभिव्यक्ति भी करता है। कभी भी वह अपनी अनुभूतियों से परे अभिव्यक्ति का स्वरूप स्थापित नहीं कर पाता। कुछ ऐसी ही स्थितियों का प्रभाव मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि में संरचित आधुनिक लोकनाट्य साहित्य के प्रणेता डॉ0 मनीराम वर्मा की लोकनाट्य कृतियों में दृष्यमान होता है। बचपन से ही सामाजिक कार्याें में रुचि रखने के कारण डॉ0 वर्मा का व्यक्तित्व पूर्णतया सामाजिक बन गया है। इन्हांेने स्वयं अपनी हानि सहते हुए भी कभी किसी को किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होने दी। सबको अपना माना शायद इसी लिए सब ने उन्हें भी अपना बना लिया है। अपनी प्रतिभा लगन व सतत् साहित्य-साधना के सहारे उन्होंने सदैव अपने कार्य को पूर्ण किया। 27 सितम्बर सन् 1997 ई0 को टी0एन0पी0जी0 कॉलेज टाण्डा, अम्बेडकरनगर को डॉ0 वर्मा की नियुक्ति एक मानद प्रवक्ता (हिन्दी) के रूप हुई। जहाँ उन्होंने 30 जून सन् 2003 तक कार्य किया। इसी दौरान ड्रामेटिकल रामलीला समिति कलेसर से जुड़कर इन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का परिचय दिया, जिससे उनकी सामसामाजिकता में एक क्रान्तिकारी वृद्धि हुई। इसके उपरान्त इन्होंने 1 अगस्त सन् 2003 से आदर्श कन्या महाविद्यालय जियापुर-बरुआ जलांकी, पो0-डिहवा दौलतपुर, केदारनगर-अम्बेडकरनगर मे हिन्दी-प्रवक्ता पद का कार्यभार ग्रहण किया और अद्यावधि सतत् संलग्न हैं। डॉ0 मनीराम वर्मा का साम्प्रतिक अध्यापन कार्य पूर्व संसदीय कार्य, वित्त एवं चिकित्सा शिक्षा मन्त्री मा0 श्री लालजी वर्मा के संरक्षकत्व में स्थापित आदर्श कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय जियापुर-बरूआ जलांकी टाण्डा, अम्बेडकरनगर में हो रहा है। राजनीतिक पुरुषों की निकटता के कारण डॉ0 वर्मा का राजनीतिक परिवेश विशेष प्रभावी रहा है। डॉ0 मनीराम वर्मा की आर्थिक स्थिति बचपन से ही दयनीय रही है। इन्होंने सदैव आर्थिक विपन्नता के प्रत्याघातों को सहा, किन्तु कभी भी किसी बिन्दु पर हार नहीं मानी। निरन्तर अपने प्रगति-पथ पर गतिमान रहे। इन्होंने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा, बल्कि अनवरत् बिना किसी प्रकार की कोई चिन्ता किये ही आगे बढ़ते रहे।


डॉ0 मनीराम वर्मा की प्राथमिक शिक्षा घर से तीन किमी दूर केदार नगर में पूरी हुई। तदोपरान्त जे0पी0आर0आर0 लघुमाध्यमिक विद्यालय मखदूमनगर सराय के कक्षा 6 में प्रवेश लिया, जहाँ से आठ की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। कक्षा 8 की परीक्षा पास करने के पश्चात डॉ0 वर्मा ने सन् 1990 ई0 में हाईस्कूल की परीक्षा विज्ञान वर्ग से एवं 1992 में इण्टर की परीक्षा कला वर्ग से जयराम वर्मा बापू स्मारक इण्टर कॉलेज नाऊसाण्डा, फैजाबाद से उत्तीर्ण किया। इण्टर की परीक्षा पास करने के पश्चात डॉ0 वर्मा ने टी0एन0पी0जी0 कॉलेज टाण्डा से बी0ए0 की परीक्षा हिन्दी, अंग्रेजी, भूगोल, विषय के साथ सन् 1995 में द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण किया। इसी महाविद्यालय से इन्होंने एम0ए0 हिन्दी की परीक्षा द्वितीय श्रेणी के अच्छे अंकों से 1997 उत्तीर्ण किया। एम0ए0 की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरान्त उन्होने डॉ0 सूबेदार राय के निर्देशन में डॉ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वद्यिालय फैजाबाद से हिन्दी विषय में पी-एच0डी0 की उपाधि अर्जित की। सन् 2006 ई0 में इन्होंने शिक्षाशास्त्र विषय में प्रथम श्रेणी में एम0ए0 की उपाधि अर्जित किया। 2010 ई0 में दर्शनशास्त्र विषय में विशेष योग्यता के साथ स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसी क्रम में डॉ0 वर्मा ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्याल, इलाहाबाद से पी0जी0डी0ई0एम0 एण्ड एफ0पी0 की उपाधि प्राप्त की तथा महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक (हरियाणा) से सम्बद्ध जागृति इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजूकेशन मोहना, बल्लभगढ़, फरीदाबाद, हरियाणा से वर्ष 2012 में बी-एड्0 की उपाधि अर्जित की। इस प्रकार इनकी औपचारिक शिक्षा पूर्ण हुई किन्तु अनौपचारिक एवं निरौपचारिक अध्ययन/अधिगम आज भी अनवरत बना हुआ है। एक बार भी इन्होंने अपनी अध्ययनशीलता को विराम नहीं दिया, क्योंकि इनकी मान्यता रही है कि निरन्तर अध्ययन अनुशीलन के द्वारा ही व्यक्तित्व का पोषण कर मनुष्य अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा कर सकता है, जो अनवरत् अध्ययन नहीं करता वह समाज के सच्चे रूप का प्रदर्शक नहीं हो पाता। अधिगम और सम्प्रेषण ही जीवन के मूलभूत क्रिया है, जिसका परित्याग सामाजिक जीवन के अंत पर विराम लेता है। शायद इसीलिए इनका अध्ययन काल आज भी उसी प्रकार बना हुआ है, जिस प्रकार जीवन के प्रारम्भिक दिनों में रहा है। यह पोस्ट हमारे भागीदारों द्वारा प्रायोजित है Wigs


विभिन्न वैयक्तिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक पृष्ठभूमि में व्याप्त समस्याओं के अनवरत प्रभावी होने के कारण डॉ0 मनीराम वर्मा का जीवन सदैव विविध्ा विसंगतियों में उलझा रहा। निरन्तर एक के बाद एक मिल रही असफलताओं ने डॉ0 वर्मा को सदैव घिसट-घिसट के चलते रहने के लिए लाचार करता रहा। उनकी यही लाचारी ही हमेशा उन्हे लेखन कार्य करने के लिए उत्प्रेरित करती रही और आज लेखकीय प्रेरणा के आधार पर वे सदैव अपने रचनात्मक कार्य से जुड़कर समाज के बहुमुखी विकास के लिए संकल्पित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। शिक्षण प्रवृत्ति में रहते हुए डॉ0 मनीराम वर्मा ने लोकनाट्य साहित्य के सृजन के साथ-साथ हिन्दी पाठ्यक्रम सम्बन्धी पुस्तको का लेखन व प्रकाशन कर रहे है। कहानी एवं उपन्यास लेखन सम्प्रति महत्पूर्ण विधा बन गयी है। भारतीय जीवन बीमा निगम में अभिकर्ता के रूप में कार्य करते हुए डॉ0 वर्मा ने लोक नाट्य पार्टियों में कला प्रदर्शन को भी अपने जीवन का एक आवश्यक हेतु के रूप में प्रयुक्त किया है। उक्त अवधि में सहारा इण्डिया में मोटीवेटर का कार्य करते हुए निकट थिरुआ पुल, टाण्डा अम्बेडकरनगर में ‘मीमांसा शू पैलेस’ संज्ञक दूकान भी चलाते रहे। जनवरी 2006 से ‘मीमांसा’ एवं मार्च 2007 से ‘मुमुक्षु’ मासिक पत्रों का व्यवस्थित सम्पादन करते हुए आदर्श ज्योति जैसी लब्धप्रतिष्ठ पत्रिका में गुणतर सम्पादकीय दायित्व का निर्वाह करते हुए सहकारिता पर आधारित फैजाबाद से प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र ‘जनमोर्चा’ में अनवरत सम्पादकीय लेखों का लेखन डॉ0 मनीराम वर्मा ने अपने जीवन का एक हिस्सा बना रखा है। वांग्मय जैसी प्रभावशाली पत्रिका में सम्पादन सहयोग करते हुए इन्होंने सामाजिक समस्याओं के निवाणार्थ आकाशवाणी फैजाबाद से समय-समय पर अपने कार्यक्रमों की प्रस्तुति को अत्यन्त आवश्यक माना है। इसके साथ-साथ विविध सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी प्रभावी भूमिका का निर्वाह करते हुए आज सामाजिक सिपाही के रूप में अपने पद पर तटस्थ हैं। वे भारतीय साहित्य एवं समाज विकास शिक्षा समिति ग्राम-पालीपट्टी, पोस्ट-चाँदपुर, तहसील-टाण्डा, जनपद-अम्बेडकरनगर में अध्यक्ष के पद पर निःशुल्क कार्य करते हुए सामाजिक विकास में संलग्न हैं। इतना ही नहीं आकाशवाणी फैजाबाद में ग्रामजगत कार्यक्रम के अन्तर्गत डॉ0 वर्मा की रचनाओं का समय-समय पर प्रसारण होता रहा है। 27 अक्टूबर 2014 को मुमुक्षु चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना कर इन्होंने 16 नवम्बर 2014 को ब्रह्मादेवी रामबहाल सोशल रिसर्च एकेडमी गुवाँव (पालीपट्टी), चाँदपुर, टाण्डा, अम्बेडकरनगर की स्थापना की। सम्प्रति इनके द्वारा नर्सरी से कक्ष़्ाा आठ तक अंग्रजी माध्यम इस शिक्षाकेन्द्र का भलीभाँति सुव्यस्थित संचालन एवं पोषण किया जा रहा है।


चिरकाल से प्रेम की बहुआयामी रूपरेखा का संश्लिष्ट रूप प्रदर्शन विभिन्न साहित्यविदों की सैद्धान्तिक अभिव्यक्ति की प्रक्रिया का हेतु बना हुआ है। वास्तव में प्रेम एक अत्यन्त सूक्ष्म भाव है। मैं इतना ही कह सकती हूँ कि यह एक बेहद सक्रिय, सुन्दर, प्रेरक, उत्तेजनायुक्त भविष्यमुखी एकांतिक अनुभूति है। इसी प्रेम की विशिष्टता को डॉ0 मनीराम वर्मा ने बड़ी सहता से अनेक संदर्भाे में प्रस्तुत किया है। कहीं पितृ-प्रेम तो कहीं पर पुत्र-प्रेम, कहीं नारी-प्रेम तो कहीं पर प्रकृति-प्रेम, कही पर भौतिक संसाध्ानों के आधार-स्रोतो से प्रेम तो कहीं आध्यत्मिक-प्रेम को अलग-अलग ढं़ग से प्रस्तुत किया गया है। अत्याधुनिक विकसमान पाश्चात्य भौतिक जीवन-जगत की चमत्कारिक मधुर छटा की परिध्ाि से परे पड़े विषयों का भी यत्र-तत्र विश्लेषण विद्यमान है। रसिक मंजरी, कशिश, दर्पण की किरचे, कटी पतंग की पीड़़ा, अवसाद, अफतिया, मणि मीमांसा, गुवाँव गौरव, छाया, लता, नभदर्शन, दिव्यालोक, नवदर्शन, लोकदर्शन, सुदर्शन, प्रगीत का लेखन एवं प्रकाशन किया। इनकी अन्य विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएँ सदैव जनमानस का मार्गदर्शन करती रही हैं। इनकी अन्य प्रमुख रचनाओं में नासूर (कहानियाँॅ), बदले की ज्वाला, वक्त का करिश्मा, अधूरा दर्पण, चाहत का नशा, सुलगता सिन्दूर, का्रन्तिकारी गूदर, बेटी का सौदा, महिमा ऊपर वाले की (लोकनाट्य), सौन्दर्य ही शिव, शिव ही सत्य और सत्य ही ब्रह्म है, सपनों का संसार, राष्ट्र-पिपासा (निबन्ध संग्रह), खोज (उपन्यास), टूटती परिध्ाि (अनुवाद), श्री धु्रव जायसवाल के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व का तात्विक अनुशीलन, हिन्दी फिल्मों का ग्रामीण जीवन पर प्रभाव (शोध प्रबन्ध) शोध साहित्य निकष, राष्ट्रीय समृद्धि में स्वच्छता सौम्यता एवं नैतिकता का महत्व, लोकनिर्माण में मीडिया की उपादेयता एवं अन्वेषिका (सम्पादित ग्रन्थ) आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं। इनके साथ ही मीमांसा, मुमुक्षु, आदर्श ज्योति, जनमोर्चा एवं फैजाबाद की आवाज एवं अन्य पत्र-पत्रिकाओं में विविध विषयों पर इनमें 1850 से अधिक लेखों का प्रकाशन हुआ है।


जीवन-जगत की विभिन्न विद्रुपताओं का अतियथार्थांकन करने की क्षमता से परिपूर्ण डॉ0 मनीराम वर्मा का समग्र साहित्य अनवरत लोक-कल्याण में संलग्न रहा और है। इस प्रकार विभिन्न विडम्बनाओं से परिपूर्ण जीवन प्रक्रम में उलझे पात्रों सा डॉ0 मनीराम वर्मा का जीवन व्यतीत हो रहा है। टुकड़ों-टुकड़ों जीने की पद्धति ने एक नवीन शैली सी विकसित कर दी है। उनका मानना है कि जीवन समाधान में समस्याओं का संधान नहीं बल्कि यह हर समस्या के समाधान पर्याय है। इस प्रकार से दुःख और गरीबी का सच्चा साथी मानते हुए वे कभी उसका बहिष्कार नहीं करते अपितु डटकर उसका मुकाबला करते हुए अपना मार्ग तलाशने में विश्वास करते हैं।

 

डॉ0 मनीराम वर्मा की कुछ रचित कुछ सम्पादित


1. बदले की ज्वाला (लोकनाट्य)                  
2. वक्त का करिश्मा (लोकनाट्य)
3. अधूरा दर्पण (लोकनाट्य)                            
4. चाहत का नशा (लोकनाट्य)
5. सुलगता सिन्दूर (लोकनाट्य)                     
6. का्रन्तिकारी गूदर (लोकनाट्य)
7. बेटी का सौदा (लोकनाट्य)
8. महिमा ऊपर वाले की (लोकनाट्य) ISBN. 978-81-956614-4-2             
9. टूटती परिधि (लोकनाट्यानुवाद)           
10. रसिक मंजरी (काव्य संग्रह)
11. कशिश (काव्य संग्रह)                           
12. दर्पण की किरचें (काव्य संग्रह)
13. कटी पतंग की पीड़ा (काव्य संग्रह)              
14. खोज (उपन्यास)ISBN. 978-81-962064-2-0
15. शोध-साहित्य-निकष (सम्पादित ग्रन्थ)                    
16. नसूर (कहानी संग्रह)
17. हिन्दी साहित्य सार (सम्पादित संकलन)  
18. काव्य शास्त्र मंजूषा (काव्य शास्त्रीय टीका)          
19. सूर-संकलन (सम्पादित ग्रन्थ)                
20. अकबर की भू-राजस्व व्यवस्था (ऐतिहासिक अध्ययन) ISBN. 978-81-962064-5-1                  
21. अधूरा उपन्यास (एकांकी संग्रह) ISBN. 978-93-5212-641-5        
22. प्रगीत (काव्य संग्रह) ISBN. 978-81-962064-6-8   
23. राष्ट्र-पिपासा (निबन्ध संग्रह) ISBN. 978-93-5212-641-4
24. राष्ट्रीय समृद्धि में स्वच्छता सौम्यता एवं नैतिकता का महत्व (सम्पादित ग्रन्थ) ISBN. 978-93-5212-669-9
25. सौन्दर्य ही शिव, शिव ही सत्य और सत्य ही ब्रह्म है (निबन्ध संग्रह) ISBN. 978-93-5196-442-1
26. श्री धु्रव जायसवाल के बहुआयामीव्यक्तित्व एवं कृतित्व का तात्विक अनुशीलन (शोध प्रबन्ध)
27. धर्मवीर भारती के कथा साहित्य का शिल्प-सौष्ठव (शोध ग्रन्थ) ISBN. 978-81-962064-3-7
28. हिन्दी फिल्मों का ग्रामीण जीवन पर प्रभाव (शोध ग्रन्थ) ISBN. 978-81-962064-4-4
29. अवसाद (काव्य संग्रह) ISBN. 978-93-5416-438-5       
30. अफतिया (काव्य संग्रह) ISBN 978-93-5416-518-4
31. भाषापुरुष : डॉ0 सूबेदार राय (सम्पादित ग्रन्थ) ISBN. 978-93-5416-531-3
32. मणि मीमांसा (काव्य संग्रह) ISBN. 978-93-5419-080-3   
33. गुवाँव गौरव (काव्य संग्रह) ISBN. 978-93-5419-326-2
34. अन्वेषिका (सम्पादित ग्रन्थ) ISBN. 978-81-948473-8-0   
35. छाया (काव्य संग्रह) ISBN. 978-81-948473-2-8
36. लता (काव्य संग्रह) ISBN. 978-81-956614-0-4         
37. नभदर्शन (काव्य संग्रह)  ISBN. 978-81-956614-7-3
38. दिव्यालोक (काव्य संग्रह) ISBN 978.81.956614.2.8    
39. लोकदर्शन (काव्य संग्रह) ISBN. 978-81-956614-3-5
40. सपनों का संसार (निबन्ध संग्रह)
41. लोकनिर्माण की अवधारणा में मीडिया की उपादेयता (सम्पादित ग्रन्थ) ISBN. 978-81-956614-5-9  
42. नवदर्शन (काव्य संग्रह) ISBN. 978-81-956614-8-0
43. सुदर्शन (काव्य संग्रह) ISBN. 978-81-962064-1-3
44. मीमांसा, मुमुक्षु (हिन्दी मासिक), आदर्श-ज्योति (महाविद्यालयीय स्मारिका) का सम्पादन
45. जनमोर्चा, रैनवसेरा, बेसहारों का सहारा, नई शिक्षा, अवध-अर्चना, अशोक मार्ग, वांगमय, वन्दे भारती, समुत्कर्षा, साहित्य रश्मि, हिमालयन अपडेट, जनवादी सन्देश, शोध-सिन्धु, फैजाबाद की आवाज (हिन्दी दैनिक/साप्ताहिक) एवं अन्य साझा संकलनों/ पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 2100 सम्पादकीय/रिपोर्ट/अन्य लेखन/प्रकाशन।


अन्य-

1. मुमुक्षु चैरिटेबल ट्रस्ट अम्बेडकरनगर / भारतीय साहित्य एवं समाज विकास शिक्षा समिति अम्बेडकरनगर/ब्रह्मादेवी रामबहाल सोशल रिसर्च एकेडमी गुवाँव (पालीपट्टी), चाँदपुर, टाण्डा-अम्बेडकरनगर (अंग्रेजी माध्यम शिक्षा संस्थान) का संचालन।
2. आकाशवाणी अयोध्या (पूर्व में फैजाबाद) से ग्रामजगत कार्यक्रम में अनेक कविताओं का प्रसारण।
3. उक्त कृतियों को विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुल 18 छात्रों नें लघु/आंशिक/पूर्ण शोधप्रबन्ध का विषय बनाया।