सुदर्शन

शुभदर्शन का स्रोत सुदर्शन 

संयोजक जीवन मन प्राण

सुखद सदाशय श्रेष्ठ समुज्ज्वल 

भाव करे जगती कल्याण।

पलभर रुचे रुके जण-चेतन

क्रियाशील चिन्तन अवचेतन

करें चतुर पग-पग अवलोकन

जिससे सम्भव श्रेष्ठ विरेचन।

रूह का रिश्ता सबसे प्यारा

रूप राग का तेज सितारा

आँखों में बस नीद चुराये

करे जिन्दगी वारा-न्यारा।

द्राक्ष हेतु नित अटका भटका

लिये प्रेम उर में बेखटका

जिसके हित जागा न सोया

देख उसे उर दर्पण चटका।

सूर्य देव दर्शन विज्ञान

अनन्त ग्लैक्सी का परिधान

ग्रेविटेशनल शक्ति तरंगें 

करें अखण्ड ब्रह्माण्ड विधान।

हे! नवरंगिणि संसृति रूपा

मनक्रम वचनानुभूति अनूपा

गति प्रकाश की चमक दामिनी

शिलालेख शिव सत प्रारूपा।

रंग गंध सुख स्वाद सुचाहत

दिव्य अलौकिक श्री प्रमाण

पलभर का जीवन रसबोधन

कालजयी को ले पहचान।।

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