संविधान के भाग

भारतीय संविधान हमारा, बाईस भागों में विभजित है
तीन सौ पंचानबे अनुच्छेद, बारह अनुसूचियांधारित है।
भाग विषय के अन्तर्गत ही, संघ उसके क्षेत्रों का गान
अनुच्छेद एक से चार तक, इसका विधिवत श्रेष्ठ विधान।
भाग दो नागरिकता प्रमुख, अनुच्छेद पाँच से ग्यारह खास
मूलभूत अधिकार तीन में, अनुच्छेद बारह से पैंतीस पास।
राज्य के नीति निदेशक तत्त्व, भाग चार में आते हैं
अनुच्छेद छत्तीस से इक्यावन, की महिमा बतलाते हैं।
भाग चार मूल कर्तव्यमय, अनुच्छेद इक्यावन मूल
भाग पाँच संघ विश्लेषक, बावन से एक सौ इक्यावन कूल।
भाग : में राज्य विश्लेषण, एक सौ बावन से दो सौ सैंतीस
इसमें संघ का राज्य को मिलता, है सर्वत्र विधि शुभाशीष।
सातवाँ संविधान संशोधन, भाग सात हित सम्यक ईश
सन् उन्नीस सौ छप्पन द्वारा, अनु़चछेद दो सौ अड़तीस।
भाग आठ में संघ राज्य के, क्षेत्रों की गणना आती है
अनुच्छेद दो सौ उन्तालीस से, दो सौ बयालीस बतलाती है।
भाग नवम पंचायत विवरण, ध्यान रखे नित जनगण हित को
अनुच्छेद दो सौ तैंतालीस से, अनुच्छेद दो सौ तैंतालीस ओ।
भाग नौ नगरपालिकाएँ, अनुच्छेद दो सौ तैंतालीस पी
यहाँ से लेकर सुनियोजित है, दो सौ तैंतालीस जेड जी।
भाग दस में अनुसूचित जाति , जनजाति क्षेत्र हैं आते
अनुच्छेद दो सौ चौवालीस से, लेकर दो सौ चौवालीस ए।
संघ और राज्यों के बीच, सम्बन्ध बनाये भाग ग्यारह शेष
अनुच्छेद दो सौ पैंतालीस से, दो सौ तिरसठ तक विशेष।
भाग बारह में वित्त सम्पत्ति, संविदाएँ और वाद विधि आये
अनुच्छेद दो सौ चौंसठ से, विधिवत उल्लिखित तीन सौ ए।
भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर, व्यापार वाणिज्य और समागम
भाग तेरह के अनुच्छेदों में, तीन सौ एक से सात का आगम।
संघ और राज्यों के अधीन, सेवाएँ भाग चौदह में आयें
अनुच्छेद तीन सौ आठ से, तीन सौ तेईस राह दिखाये।
भाग चौदह अधिकरण हेतु, उत्तम राह दिखलाता है
अनुच्छेद तीन सौ तेईस से, तीन सौ तेईस बी में आता है।
भाग पन्द्रह निर्वाचन के हित, सदा श्रेष्ठ उत्तम कहलाये
अनुच्छेद तीन सौ चौबीस से, प्रमुख तीन सौ उन्तीस ए।
कुछ वर्गों के लिए विशेष उपबन्ध, भाग सोलह में आता
अनुच्छेद तीन सौ तीस से, बयालीस की गरिमा बतलाता।
भाग सत्रह के अन्तर्गत, राजभाषा हिन्दी की महिमा आयी
अनुच्छेद तीन सौ तैंतालीस, से तीन सौ इक्यावन में समायी।
भाग अट्ठारह आपात उपबन्ध, जिसका विश्व पटल पे ठाट
राज हितैषी है यह धारा, अनुच्छेद तीन सौ बावन से साठ।
भाग उन्नीस प्रकीर्णक, अनुच्छेद तीन सौ इकसठ से सड़सठ
भाग बीस संविधान संशोधन, है अनुच्छेद तीन सौ अड़सठ।
अस्थाई संक्रमणकालीन, विशेषोपबन्ध इक्कीस में आये
अनुच्छेद तीन सौ उनहत्तर से, तीन सौ बानबे शक्ति दिलाये।
संक्षिप्त नाम प्रारम्भ हिन्दी में, प्राधिकृत पाठ और निरसन
भाग बाईस का अनुच्छेद, तीन सौ तिरानबे से पंचानबे तन।
इस तरह से बाईस भागों में, भारतीय संविधान समाया है
विश्व गुरु का झंडा जिससे, इस दुनिया ने फहराया है।।

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