संविधान की उद्देशिका

दुनिया में सर्वाधिक उत्तम नीति ग्रन्थ की गरिमा पायी
संविधान उद्देश्य हेतु विधि समिति ने प्रस्तावना बनायी।
संविधान का सार अपेक्षा दर्शन लक्ष्य उद्देश्य दिखाया
सारी शक्ति जनता से पाकर जनहित में दिखलाये माया।
हम भारत के लोग भारत को ऊँचा सदा उठायेंगे
एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी राष्ट्र बनायेंगे।
पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक समृद्ध गणराज्य बनाने हेतु
उसके समस्त नागरिकों हित निर्मित करेंगे विद्या सेतु।
सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय विचार लायेंगे
अभिव्यक्ति और विश्वास धर्म की विजय पताका फहरायेंगे।
नित्य उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता
प्राप्त करने के लिए रोज ही दिखलाना नित अपनी क्षमता।
उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता का भाव
दिव्य अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता का है प्रस्ताव।
छब्बीस नवम्बर सन् उन्चास मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी
सम्वत 2006 विक्रम को इसकी विधिगत शुभ नीव जमीं।
इसको अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं
इसकी छाँव तले हम रहकर जीवन धन अर्जित करते हैं।
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दिसम्बर 1946 को नेहरू सविधान सभा में सुनाये
ऐसे प्रस्तुत की गयी प्रस्तावना संविधान आमुख कहलाये।
कहा कोई राजनीति कुण्डली किसीने विधिमणि नाम दिया
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वें संशोधन में समाजवाद ने समतामूलक आयाम दिया।
इसी क्रम में पंथनिरपेक्षता और अखण्डता भुला पाये
आज इसी सामर्थ्य बदौलत हम अन्तरिक्ष में आगे आये।।

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