संविधान का परिचय

तीन सौ पंचानबे अनुच्छेद, बाईस भागों में बँटा हुआ
आठो अनुसूचियाँ साथ में ले, है विश्व पटल पे डटा हुआ।
नित समय चक्र के चलने से, इनमें परिवर्तन आया है
चार सौ सत्तर अनुच्छेद कुल, पच्चीस भाग में आया है।
बारह अनुसूचियाँ आज मिलें, जिनमें संसद की माया है
कुछ अपवादों को छोड़ सकल, संघीय व्यवस्थित काया है।
केन्‍द्रीय कार्यपालिका का, वैधानिक प्रमुख राष्‍ट्रपति है
धारा उन्यासी के अनुसार, दो सदन व एक सभापति है।
दोनों सदनों का अधिकारी, खुद प्रधानमंत्री होता है
राष्ट्रपति जिसकी सलाह से, जनहित-काज संजोता है।
वास्‍तविक कार्यकारी सुशक्ति, मन्त्रिपरिषद में होती है
जो पूर्ण रूप में उत्तरदायी, लोकसभा हित होता है।
प्रत्‍येक राज्‍य में एक सबल, विधानसभा भी होती है
कुछ राज्यों में ऊपरी सदन, विधानपरिषद विधि ज्योति है।
राज्‍यपाल राज्‍य-प्रमुख होता, जो सभी राज्य में रहता है
उसमें सब शक्ति समाहित हो, मंत्रिपरिषद सलाहें गहता है।
राज्य मंत्रिपरिषद का प्रमुख, मुख्यमंत्री कहलाता है
विधानसभा हित उत्तरदायी, हो निज बल दिखलाता है।
संविधान की सातवीं अनुसूची, में ताकत का बँटवारा है
संसद व राज्‍य विधायिकाओं, के बीच संतुलित धारा है।
इसी अनुसूची के द्वारा, सरकारें कर – शुल्क लगाती हैं
इसके अंतर्गत तीन सूचियाँ, संघ राज्य समवर्ती आती हैं।
अवशिष्‍ट शक्तियाँ संसद में, नित विहित दिखायी देती हैं
केन्‍द्रीय प्रशासित भूभागों को, संघराज्‍य क्षेत्र में लेती हैं।
इस तरह भारत का संविधान, दुनिया में सबसे न्यारा है
मानवाधिकार धन धर्म युक्त, सबके हित उत्तम प्यारा है।
नित इसके ही निर्देशन में, निज धर्माचरण निभायेंगे
सरकार और सरकारी के, ही काज आमरण आयेंगे।
हम जगे खिले हैं फूल तेरे, वनमाली कभी न विसराना
गर पड़े जरूरत वेदी पर, सौभाग्य हमारा चढ़ जाना।
नित ऐसे ही इठलाना तुम, इस दुनिया की बागानों में
फड़फड़ा रही है तेरे हित, तलवार हमारी म्यानों में।।

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