रखैल

रखैल

लिव इन रिलेशनशिप यही, गहे सभी प्रारूप

शब्द पुराना चिर चलित, एक रखैल स्वरूप।

तन मन धन की सम्पदा, पे रक्खे अधिकार

सामाजिक प्रतिबन्ध बिन, बना रहे परिवार।

बाहर से हो फासला, भीतर से अति पास

बेनामी सम्बन्ध संग, स्नेह बद्ध नित खास।

कभी न पलभर हो पृथक, जबले फल रसदार

शोषण दोहन भोग्यता, प्राप्त करे साधिकार।

आज और कल एक सा, रहा और है रूप

प्रमुख कारण की वजह, मानवीय अनुरूप।

शासन सत्ता श्रेष्ठता, सिद्धि स्नेह श्रृंगार

कहीं बेबसी मूल में, कहीं सुबुद्धि कुविचार।

भले शब्द वीभत्स हो, किन्तु सार्थक श्लील

गर्व गहे उपभोक्ता, निन्दक करे जलील।

रजवाड़ों से रंक तक, शिष्ट-संत से लोक

कहीं लक्ष्य सुख चैन तो, कहीं बढ़ाये शोक।

हरम-रत्न पटरानियाँ, नगरवधू अनमोल

दासी सेविका आश्रिता, पूर्ण चतुर-बकलोल।

शुद्ध सरल अभ्यर्थना, सहज सरस अतिचार

  • सकल मूल पर्याय यह, अविकारी उपचार।।

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