मुश्किल

भौतिक सुख का लोभ जहाँ परिवार प्रेम पे भारी हो

उस दुनिया में उमर बिताना मुश्किल है आसान नहीं।

रिश्ते नाते सम्बन्धों की डोर बड़ी कमजोर वहाँ पर

जहाँ स्वार्थ के तोल मोल में सूख रहा परिधान नहीं।

औरों का घरबार निहारे किन्तु सगों से अपने हारे

जो छिछले में डूब रहा खुद भवसागर से जग को तारे

पाँव तले की भूमि न देखे निज करनी पे ध्यान नहीं।

पूरा घुलनशील हो जीवन कुटिल कलुषता पास न आये

दु:ख दरिद्र की विषम परिस्थिति में बिन टूटे ही मुस्काये

लघु अवसर को तुच्छ समझ के विसराते विद्वान नहीं।

अग्रज का सम्मान अनुज पे आशीर्वाद बनाये रखना

कटु कुटिलाई आरोपण से पूर्व स्वयं परखना चखना

जनहित में जो काम न आये वह औपचारिक ज्ञान नहीं।

धर्मपरायण नव तकनीकि मशीनों को न काम में लाये

अत्याधुनिक सुखसंसाधन में व्यवहारिक व्यापार कराये

क्षरणशील को अभयदान बिन प्रगतिशील विज्ञान नहीं।।

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