परीक्षा

शिक्षा हेतु परीक्षा, आवश्यकता अनुरूप

संस्कार के नीर बिन, सूखे संसृति कूप।

नकल कराते हैं सभी, गाँव-देश के लोग

बेमानी में रत विफल, बाँट रहे हैं रोग।

सीसीटीवी कैमरे, फुटेज न दें उस काल

जब यूएफएम वास्ते, बैच दिखे विक्राल।

तार आडियो के कटे, विद्युत सेवा फेल

मुखिया सारे फोन पे, बढ़ा रहे हैं मेल।

खातिरदारी में करें, दान-पान बरसात

देव अगर न मानते, पावरफुल आघात।

उत्तर बाहर से मिले, पेपर के अनुसार

साक्ष्य अनवशेष हों, सभी तथ्य नि:सार।

पात-पात कालेज चले, यूनिवर्सिटी सुडाल

बिगड़ रही हैं पीढ़ियाँ, उलझ रहा जंजाल।

अगर बचाना है जगत, सत साधें सविवेक

ध्यान धरें चिन्तन करें, बुद्धि संजोयें नेक।

सधे आचरण-सभ्यता, जीवनधन के साथ

तरणी उलटी धार में, पार करें नर-नाथ।।

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