खामोशी क्यों जुबां बन्द है, सन्नाटे की क्या मजबूरी
दुष्ट अगर दुष्कर्म न छोड़े, हिंसा करना बहुत जरूरी।
हेपेटाइटिस हुआ जिगर में, ब्यूटीशियन का काम नहीं
राजपुरुषों की कोरी सांत्वना, घृणाघात का दाम नहीं
कबले हबशी-पगतल कुचलें, भारतीय बेटियाँ अंगूरी।
दुराचार सामूहिक करके, सड़क पर नंगा नाच कराना
कहाँ मर गया राज धर्म जो, भूल गया सतयुगी तराना
बाँध सड़क पे टैंक चलाके, न्याय की इच्छा करदें पूरी।
मरहम से न काम चलायें, आपरेशन प्रबन्ध करायें
वैसे भी फुन्सियां बहुत हैं, पल में सबको काट हटायें
नजर-फूँक व टोना-टोटा, वालों से भी रहना दूर।
नैतिकता की चिता जलाके, दनुज सेंकते अपना हाथ
खड्ग उठा भैरवी हिन्द के, लाजहन्तों का काटो माथ
महामहोत्सव है त्रिकाल का, चला पाप पे छप्पन छूरी।।