अभियान

शिक्षा सबके द्वार हो, सबका हो कल्याण
हों प्रबुद्ध बच्चे सभी, सबका निखरे प्राण।
जिसमें जितनी शक्ति हो, चले वो उतनी दूर
बिन साधन अज्ञान वश, रहे नहीं मजबूर।
यह सब सम्भव है तभी, शिक्षक हो विद्वान
उत्साही नव ज्ञानेच्छी, नैतिकता का ध्यान।
शिक्षण एक प्रवृत्ति है, कहें न पेशा यार
लगा पलीता राग में, बदलें लोक विचार।
सिर्फ यही वह सम्पदा, जो जीवन का मूल
शूल गहे हर पोर से, धूल में महके फूल।
जिस संतति के वास्ते, अर्थ जोड़ते रोज
उसे बनाने के लिए, करें विज्ञ की खोज।
शिक्षक की बेमानियाँ, पंगु बनायें देश
न सम्भली गुरु श्रृंखला, कुछ न बचेगा शेष।
मानवता हित बन्धुवर, करें एक संकल्प
शिक्षण में मन न लगे, तो ढूँढें अन्य विकल्प।
वेतन पाने के लिए, करें न यह रोजगार
चिर-नव सृजन बोध का, करें श्रेष्ठ उपचार।
करें निवेदन आपसे, रखें राजगुरु मान
सनातनी बुनियाद पे, विकसित कर विज्ञान।।

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