संविधान प्रारूप समिति व, सर्वाेच्च न्यायालय ने माना
भारतीय संविधान संघात्मक, वर्तमान में श्रेष्ठ सयाना।
अमेरीकी विद्वान इसे, श्छद्म-संघात्मकश् कहते हैं
पूर्वी संविधानवेत्ता कहते, अमरीकी दंभ में रहते हैं।
संविधान का संघात्मक होना, उसके लक्षण पे निर्भर जाना
किन्तु मा० सर्वाेच्च न्यायालय ने, इसे पूर्ण संघात्मक माना।
भारत एक सम्प्रुभता सम्पन्न, समाजवादी पंथनिरपेक्ष
लोकतांत्रिक गणराज्य है उत्तम, मानवता के ही सापेक्ष।
समाजवादी शब्द संविधान के, 42वें संशोधन में आया है
अपने सभी नागरिकों हित, सामाजार्थिक समानता लाया है।
जाति रंग नस्ल लिंग धर्म या, भाषा के आधार पे कोई
भेदभाव बिन किये सभी को, पूर्ण बराबर रखे संजोयी।
सरकार सिर्फ कुछ लोगों के, हाथों धन संचय रोकेगी
सभी नागरिकों में एक अच्छा, जीवन स्तर झोंकेगी।
भारत मिश्रित फलांकन हित, आर्थिक मॉडल अपनाया है
सरकारी अमला समाजवाद, लक्ष्यार्थ कानून चलाया है।
अस्पृश्यता उन्मूलन जमींदारी, समानवेतन बालश्रम निषेध
संविधान में है सर्वाेपरि, मुजरिम किन्तु लगाये सेंध।।
सभी पन्थों की समानता व, पान्थिक सहिष्णुता यहीं है
इस प्रकार भारत का कोई, आधिकारिक पन्थ नहीं है।
न तो किसी को बढ़ावा देता, न ही भेदभाव है करता
यह सबका सम्मान सदा कर, एक समान है व्यवहार करता।
हर व्यक्ति को अपनी पसन्द के, पन्थोपासना का अधिकार
पालन व प्रचाराधिकार है, सभी नागरिकों हेतु साकार।
सरकारी या अनुदान प्राप्त, स्कूलों में पान्थिक अनुदेश नहीं
सबके हित में कानून एक, सबका जीवन साकार यहीं।।