राम

राम (रंगा)

दो०- 

श्रीहरि सुरपुर से निकल, आये कोशल धाम

कौशल्या के लाडले, दशरथ सुत श्रीराम।

चौ० 

दशरथ सुत श्रीराम जगत की पीर मिटाने आये

ध्वस्त हो रही भारतीय सभ्यता बचाने आये।

शस्त्र-शास्त्र का ध्यान-ज्ञान कुलगुरु वशिष्ठ से लेकर

विश्वामित्र की तपोभूमि से हर संताप मिटाये।।

ब०त० 

राम जन्में अवध में सनातन के हित, नित क्षरणशील संस्कृति का रक्षण किये।

दैत्य दानव से मानव की रक्षा हुई, देव ऋषि मुनियों का फिर वे न भक्षण किये।।

दौ० 

जगती में जब से आये जी। धरती का भार हटाये जी।

बने लोककल्याणी।

शर पे शारदा बनी रहीं। जुबां में वीणापाणी।।

Leave a Comment