अपव्यय अवरोधन हो जल्दी
रोक दें सारे भ्रष्टाचार
नैतिकता का पतन बन्द हो
सबका एक सा हो अधिकार।
जनसंख्या पर हो पाबन्दी
हम दो और हमारे एक
जुर्म करे यदि कोई कहीं भी
उसपे बंदिश करें अनेक।
शासन द्वारा प्रशासन की
तेज हो पैनी पुख्ता धार
राजकीय दोषियों को मौलिक
मिले नहीं कोई अधिकार।
बन्द करें मुकदमेबाजी
त्वरित न्याय का हो प्राविधान
जीवन का हर स्रोत हो सुगठित
सबमें फैला हो विज्ञान।
अनुपयुक्त जमीनें सारी
वृक्षों से आक्षादित हों
मधुर फलों बिन कोई न तरसे
निर्धन न अवसादित हों।
शिक्षा से पटु बनें सर्वजन
सिर्फ न हो साक्षर सिद्धान्त
मिथ्या कोरम की प्रणाली
नाजायज छल ठगी नितान्त।
समुचित साधन का बटवारा
अन्तर घटे कार्यदायी पगार
निजी हाथ में सम्पत्ति सीमित
सबका स्वामी हो सरकार।
चोरी ठगी और बेमानी
फाँसीवाद करे निगरानी
एक राष्ट्र में एक हुकूमत
दनुजों को याद आये नानी।
सबकी रक्षा सबका मान
एक सा सबका हो परिधान
संविधान की धाराओं का
खास आम को हो परिज्ञान।
फैले न भ्रामक बीमारी
मानवता हो सबपे भारी
कोषागार में लगें न ताले
सुख समृद्धि हो हर क्यारी।
धूप हवा जल और अनाज
संरक्षित हों अतिशय आज
भावी महायुद्ध का कारण
ठंडा रखें गर्म मिजाज।
नशा दुर्व्यसन व मुफ्तखोरी
मानव जाति की है कमजोरी
अनुशासन का धर्म विसर के
ढीली किये सत सम्प्रति डोरी।
जर्जर आशा घोर निराशा
उदधि मध्य में जलचर प्यासा
कब बूझेंगे मेरे भाई
नवजीवन का बारहमासा।
दयाभाव का हो सुविचार
जीव-जन्तु सब प्रभु परिवार
निराधार संहार न करना
देख रही संसृति सरकार।।