मीनाक्षी
चपल चंचला नव सुरबाला
अद्भुत अक्षय अमित स्वरूप
वन्दनीय सौन्दर्य शिरोमणि
दिव्य सनद् शास्वत प्रारूप।
कामाक्षी मदनाष्टक ज्वाला
तुमबिन वेदित गोकुल ग्वाला
श्लाघनीय चिरचारु चतुरचित
एकलौता अप्रतिम अनूप।
इन्द्रलोक की मीठी रुनझुन
कुछ दरख्वास्त मेरीभी ले सुन
चिर आराधक रूप-रूह का
मेरा स्नेह बिन छाया-धूप।
श्रेष्ठ सुमंगल शास्वत न्यारी
दिव्य सुलोचन मधुकर प्यारी
मेरे त्रास में सुधाकलश सी
देवि अनुचरी प्रभानुरूप।।