भारतीय संविधान मूलतः, आठ अनुसूचियों में आयोजित
वर्तमान में किन्तु ये संख्या, बढ़कर है बारह सुनियोजित।
पहली अनुसूची के भीतर, अनुच्छेद एक व चार विवेचन
राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र का, इसके अन्तर्गत है वर्णन।
दूसरी अनुसूची के अन्दर, पदाधिकारियों के वेतन-भत्ते
राष्ट्रपति-राज्यपाल प्रथम में, दूजे में लोकसभा भत्ते।
विधानसभा के अध्यक्षोपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति
विधान परिषद् के सभापति संग, वेतन भत्ते उपसभापति।
भाग तीसरे में उच्चतम न्यायालय, के न्यायाधीशों के वेतन
चौथे भाग में आते हैं नियंत्रक, महालेखा परीक्षक के वेतन।
तीसरी अनुसूची में विधायिका के, सदस्य मंत्री हैं आते
राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति न्यायाधीशों, से सम्बन्धित तथ्य सुहाते।
उनके शपथ लिए जानेवाले, इसमें प्रतिज्ञान प्रारूप दिए हैं
इस अनुसूची के जरिए ही, नाना नेता शपथ लिए हैं।
चौथी अनुसूची राज्यसभा में, करता स्थानों का आबंटन
राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों से, जिससे मिलता रहा समर्थन।
5वीं अनुसुची अनुसूचित क्षेत्रों,अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन
नियंत्रण से संबंधित उपबंधों, का नियमित रखता अनुशासन।
छठी अनुसूची असम मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम शासन
इसी के अन्तर्गत आते हैं, जनजाति क्षेत्रों का लोकप्रशासन।
सातवीं अनुसूची विषयों के, वितरण से संबंधित विस्तार
संघ राज्य समवर्ती सूची का, इससे जुड़ा आन्तरिक तार।
आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ, क्रमशः देखी जाती हैं
विविध भाषाओं की सुव्यंजना, इसके भीतर आती हैं।
नौवीं अनुसूची प्रथम संशोधन, उन्नीस सौ इक्यावन आयी
भूमि सुधार सम्बन्धी नियमों की, इसमें है श्रृंखला समायी।
10वीं अनुसूची 52वाँ संशोधन, उन्नीस सौ पचासी में आयी
दल परिवर्तन सम्बन्धी धारा, इसी के अन्तर्गत विधिदायी।
ग्यारहवीं अनुसूची के भीतर, 73वाँ संशोधन है आया
पंचायती राज जिला पंचायत, इसके भीतर पूर्ण समाया।
12वीं अनुसूची 74वाँ संशोधन, नगरपालिका का संज्ञान
सन् उन्नीस सौ बानबे द्वारा, सम्मिलित करके बना विधान।।